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वो कहानी फ़िर सही

आज दिनांक ४.१.३४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
वो कहानी फ़िर सही
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हमको किसके ग़म ने मारा ये कहानी फ़िर सही
२२     २ २     २   २   २ २ २ १२२   २    १२
  छेड़ो नहीं यादों को अब तुम   ,वो दिवानी फ़िर सही ।

बीते दिनो की बात लेकर ,अब कहो क्या फ़ायदा
अब नहीं रोने की हसरत , वो कहानी फ़िर सही

साथ तुम ही थे मेरे, किसी और से यारी न थी,
क्यूं गये तुम दूर मुझसे , ये कहानी फ़िर सही।

हमदर्द थे तुम ,दर्द दे कर क्या सुकूं पाओगे तुम,
हमको है कितना रुलाया,ये कहानी फ़िर सही ।

आदतन तुमको पुकारा,मिलन की अब हसरत नहीं,
मिलन की हसरत थी तुमसे,वो कहानी फ़िर सही ।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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6 Comments

Shnaya

10-Jan-2024 02:37 PM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Jan-2024 08:28 PM

👏👌

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नंदिता राय

06-Jan-2024 09:29 AM

Nice one

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